Wednesday, July 13, 2011

भगवान जी का गिफ्ट

रुनझुन को अन्नप्राशन के दिन बहुत सारे प्यारे-प्यारे गिफ्ट मिले थे... और पता है सबसे अनोखा गिफ्ट जो रुनझुन को भी बहुत ही पसंद आया वो क्या था ?... वो था भगवान जी का गिफ्ट... जी हाँ उन्होंने अन्नप्राशन के दिन ही रुनझुन को एक नन्हा सा मोतियों जैसा सुन्दर दाँत गिफ्ट किया था... पार्टी से ठीक पहले ही मम्मी को इस बारे में पता चला... उस समय तो वो इतना नन्हा सा था कि ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा था... लगता है भगवान जी को भी पता चल गया था कि रुनझुन को तरह-तरह का स्वादिष्ट खाना खाने की बहुत जल्दी है... और भगवान जी तो बच्चों की बात बहुत जल्दी सुन लेतें हैं... तो उन्होंने रुनझुन की ये ख्वाहिश भी जल्दी से पूरी कर दी!... 
मेरा मोती जैसा सुन्दर नन्हा दाँत दिखाई दिया आपको?
  वैसे तो सारे ही गिफ्ट्स बहुत सुन्दर और प्यारे-प्यारे थे लेकिन उनमें एक कार्ड और कविता थी वो रुनझुन को बहुत पसंद आई, ये कार्ड रुनझुन की कोमल मौसी (जो उस समय मात्र 12 साल की थी ) ने रुनझुन के लिए बनाया था जिसपर एक प्यारी सी कविता भी लिखी थी... आप भी देखिये आप को भी ज़रूर अच्छी लगेगी...


है न ये कार्ड और कविता दोनों ही सुन्दर... तो फिर नन्ही सी रुनझुन को तो ये अच्छा लगना ही था... इतने सारे गिफ्ट्स और इतने सारे प्यार के लिए रुनझुन ने सबको बहुत-बहुत सारा थैंक्यू कहा... लेकिन ये सब देखते-देखते बहुत रात हो गई और रुनझुन को नींद आने लगी... 
दादू नींद आ रही है अब मुझे सोना है!


दूसरे दिन सुबह... रुनझुन दादी के साथ जगन्नाथ मंदिर गई भगवान जी को थैंक्यू कहने...


भगवान जी मैं आ रही हूँ आपको थैंक्यू कहने..
वहां से लौटकर दादी-दादू ने उसे खिचड़ी और रसगुल्ला खिलाया...वाह! नया-नया नमकीन स्वाद तो बिटिया को बहुत ही भाया... एकदम अलग... मीठे-मीठे दूध से एकदम अलग-अनोखा-नमकीन स्वाद!... आहा!!! 
  
आहा! यम्मी-यम्मी !!!

4 comments:

  1. hahaha.. I literally forgot about this card.. for a moment I was reluctant to admit that this is made by me!! :) card toh yaad bhi aa gaya ek pal ko.. but yeh poem toh bilkul nahi yaad aaa raha ki maine hi likhi hai!! haha!! :)
    but card pe fruits pics lagi hui hain? yeh maine draw ki thi kya? yeh toh khud ki banayi hui nahi lag rahi hain...

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  2. हाँ मौसी! ये कार्ड और कविता दोनों आपके द्वारा ही बनाया और लिखा हुआ है...फ़लों की पिक्चर्स काट के लगाई गई है...(अविश्वसनीय किन्तु सत्य)...:-)

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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