रुनझुन और नानी एक-दूसरे को बहुत याद कर रहे थे... और रुनझुन को उनसे मिलने जाना था... इसलिए एकबार फिर रुनझुन की छुकछुक गाड़ी तैयार हो गयी... इस बार सफ़र में प्रतिमा मौसी भी साथ थी... और इसबार ट्रेन में रुनझुन की मस्ती का अंदाज़ भी अलग ही था...
सफ़र के लिए बिलकुल तैयार ! |
येsssss... आ गई ट्रेन के अन्दर ! |
अपर बर्थ पर मस्ती शुरू... |
तेजी से भागते दृश्यों पे टकटकी... |
देखा दोस्ती का फायदा! दोस्त की एक उँगली.. यानि पत्ती ने कैसे सहारा दिया.. |
भई, ये जगह तो बेटी को भा गयी ! |
फिर तो वहाँ घुस कर भी देखना ही था |
अरे! ये देखो!...पार भी निकल गई!!! |
ना-ना!.. डरने की बात नहीं है... ये तो बहादुर बच्ची है! |
ये हैं नानी और बूआ नानी |
बेटी कहाँ है... खोजो तो ज़रा! |
याहूssss! पानी में मस्ती!!! |
लो भई, हो गया गंगे-गंगे! |
देखो-देखो! कोमल मौसी चलना सीख रही है!...ही-ही-ही... |
और अब बेटी चली घूमने... |
....मम्मी, नानी और कोमल मौसी के साथ... |
जा पहुँची विश्वनाथ मंदिर (B.H.U.) के अन्दर |
वहाँ पर नंदी से भी मुलाकात हुई!!! |
बहुत ही खूबसूरत तस्वीरों के साथ सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसच में बिटिया की बहुत ही मनमोहक तस्वीर हैं.. यूँ ही सदा खुश रहे बिटिया.... मेरा भी एक छोटा बेटा है मैं भी जब तब उसकी तस्वीर खींचती हूँ बहुत अच्छा लगता है.. अभी बहन के घर १२ बरस बाद नन्हा सा फरिस्ता आया है,, बस अभी उसी की देख-रेख में खुश हैं... ब्लॉग पर जन्म की एक तस्वीर बेटे के गोद में खिंची थी उसे पोस्ट की है...
bahut hi khoobsurat post
ReplyDeletesamrat bundelkhand
Man mohani
ReplyDeleteSugandhani...
Muskaan ki rajkumari
yeh nanhi pari humari..
muskuraate muskurate kab itni badi ho gayi??
hum un gol gol nayanon aur muskuraate hothon mein hi khoye rahe..
aur yeh nahi pari humari ab itni sayaani ho gayi!!
Hello! I just wanted to take the time to make a comment and say I have really enjoyed reading your blog.
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