Sunday, July 3, 2011

रुनझुन की पहली होली




हमारी लाडली..हमारी नन्ही परी अपनी बंद मुठ्ठी में हमारी खुशियों का ढेरों खज़ाना लेकर आई थी और जब-तब उसे लुटाकर हमें वैभववान बनाती रहती | उसकी मासूम और दिलकश अदाएं दिन-रात हमें मोहती रहतीं | वैसे एक-डेढ़ महीने तक तो बिटिया रानी ज़्यादातर दिन में सोतीं और लगभग पूरी रात जागती, हम भी उन्हीं के साथ हंसते-खिलखिलाते, जागते-खेलते... लेकिन अब बिटिया पूरे तीन महीने की हो चुकी थी और अब तक अपनी दादी से नहीं मिल पाई थी... दादी खुद चलकर बिटिया के पास आ नहीं सकती थी इसलिए बेटी को ही उनके पास जाना था... तो फिर इसके लिए होली से अच्छा मौका और क्या हो सकता था... तो बस हमने बिटिया की पहली रेलयात्रा की  तैयारी की और वो चल पड़ी हमारे साथ बनारस से रांची के लम्बे सफ़र पर... बहुत ही शान से बिटिया ने अपनी इस शाही यात्रा का लुत्फ़ उठाया...बिलकुल किसी प्रिन्सेज़ की तरह... ज़रा आप भी तो देखिये...

श्श्श्श.......... धीरे बोलियेगा...फूलों की शहजादी सो रही है, 
जाग न जाये कहीं .......!!! 

पापा के साथ रुनझुन ने रस्ते में बहुत सी नयी-नयी चीज़े भी देखी... पूरे आश्चर्य के साथ 

मम्मी के साथ मस्ती का सफ़र 

पापा की गोद में खिलखिलाती रुनझुन 

और यूँ ही मम्मी-पापा के साथ हंसते-खिलखिलाते, थोड़ा जागते, थोड़ा सोते कब बिटिया ने ये लम्बा सफ़र पूरा कर लिया पता ही नहीं चला... आखिर बिटिया को भी तो दादा-दादी से मिलने की जल्दी थी न... अंततः सफ़र ख़त्म हुआ और रुनझुन रांची पहुँच गयी... वहाँ दादा-दादी, ताऊ-ताई, दीदी, भैया सबसे मिलकर वो बहुत-बहुत खुश हुई...

दादी और नेहा दीदी के साथ रुनझुन दादू की गोद में 


और फिर तो रुनझुन ने होली में खूब मस्ती की | बाबू भैया और विक्की भैया तो होली खेलकर बिलकुल काले भूत बन गए थे... पहले तो रुनझुन उन्हें देखकर चौंकी लेकिन फिर उसे उनके साथ खूब मज़ा आया...  

बाबू भैया, विक्की भैया, बौबी भैया और नेहा दीदी के साथ रुनझुन 


अभी तो रुनझुन बहुत छोटी थी न इसलिए उसने तो बस रंग-बिरंगी लेकिन सूखी यानी गुलाल वाली होली खेली... होली के स्पेशल व्यंजन.. गुझिया, दही बड़े, चिप्स, पापड़ भी नहीं खा सकी... लेकिन अगली बार वो इन सबका आनंद ज़रूर लेगी और खूब सारी मस्ती भी करेगी क्योंकि रुनझुन होली के रंगों से बिलकुल नहीं डरती... आपने भी देखा ना!!!   





3 comments:

  1. प्यारी रुनझुन बिटिया के बारे में पढ़ कर और तुम सब को देख कर बहुत अच्छा लगा ! सालों बाद लगा की वक़्त कितनी जल्दी निकल गया !!!

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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