Friday, April 6, 2012

पहला ज्योतिर्लिंग दर्शन....



     आज टी.वी. पर मैं एक कार्यक्रम देख रही थी- "देवों के देव महादेव" तो अचानक मुझे शंकर भगवान से जुड़ी एक कहानी याद आ गई... मैंने सोचा आप सब से ज़रूर शेयर करूँगी... पता है कौन सी कहानी....बताती हूँ....

     ये एक पौराणिक कहानी है... एक बार राक्षसराज रावण ने शिव जी की घोर तपस्या की... उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हो गए और उन्होंने रावण से एक वरदान मांगने को कहा... रावण ने उनके शिवलिंग को ले जाकर लंका में स्थापित करने की अनुमति मांगी... शिवजी ने अनुमति तो दे दी लेकिन साथ ही उसे ये चेतावनी भी दी कि अगर ये शिवलिंग मार्ग में कहीं भी भूमि पर रख दिया गया तो फ़िर ये वहीं पर स्थापित हो जायेगा... रावण शिवलिंग लेकर चला किन्तु मार्ग में उसे लघुशंका के लिए जाने की ज़रूरत महसूस हुई... वो बहुत परेशान हो गया कि क्या करे तभी उसे एक व्यक्ति दिखाई दिया रावण ने उससे मदद माँगी और शिवलिंग उसे पकड़ा कर चला गया... रावण को आने में देर होने लगी और उस व्यक्ति को शिवलिंग बहुत भारी लग रहा था तो थककर उसने शिवलिंग को ज़मीन पर रख दिया... रावण जब वापस आया तो शिवलिंग को भूमि पर देखकर हैरान रह गया... उसने बहुत कोशिश की लेकिन अपनी पूरी शक्ति लगा देने के बावजूद वह शिवलिंग को भूमि से उखाड़ न सका... अंत में वह निराश हो गया और क्रोधित होकर उसने शिवलिंग पर पैरों से ठोकर मारी और वहाँ से वापस लंका चला गया... बाद में ब्रम्हा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर शिवलिंग की पूजा कर उसकी वहीं स्थापना कर दी.... इसी स्थान को आज हम "वैद्यनाथ धाम", "बाबा धाम" या "देवघर" के नाम से जानते हैं और यह शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है | इसे कामना लिंग भी कहते हैं... ऐसा माना जाता है कि यहाँ माँगी हुई मुराद ज़रूर पूरी होती है...


    आपको पता है ये कहानी मुझे कैसे पता है?... क्योंकि मैं वहाँ जा चुकी हूँ... 2 मार्च 2006 में भाई के फर्स्ट बर्थडे के ठीक दो दिन पहले हम वहाँ गए थे, भाई के मुंडन संस्कार के लिए... आइये आज आपको भी दिखाती हूँ वहाँ की कुछ तस्वीरें....

सबसे पहले मंदिर के बगल में स्थित शिव गंगा में हमने स्नान किया 

फ़िर हम मंदिर के अंदर भाई का मुंडन कराने पहुंचे
पर देखिये भाई तो पहले से ही टकलू लग रहा है ना! 

भाई के सारे बाल निकाल कर नाई अंकल मुझे दे रहे थे...  

फिर मुझे वो सारे बाल उधर उस टोकरी में डालने थे...

ये देखिये भाई बिलकुल गंजा हो गया और उसके सारे बाल मेरे पास आ गए...

वो सारे बाल मैंने इस टोकरी में डाल दिए
बाप रे!!! कितने सारे बाल हैं इसमें !!! 

उसके बाद हम सब मुख्य मंदिर के अंदर दर्शन करने गए .... एक छोटे और बहुत ही संकरे दरवाजे से हम अंदर घुसे.... उफ़!!!! वहाँ तो बहुत भीड़ थी, साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था... कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था... सारे लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे जा रहे थे... मम्मी मेरा हाथ पकड़ के एक जगह बैठी तो मैं भी बैठ गई लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती हमें वहाँ से उठा दिया गया और मैं घबरा कर गिरते पड़ते वहाँ से बाहर निकल आई... बाहर निकल कर पता चला, जहाँ मैं बैठी थी, वहीं नीचे छोटा सा शिवलिंग था...  पर मैं तो भीड़ देखकर इतना घबरा गई थी कि मैंने कुछ देखा ही नहीं और दोबारा वहाँ घुसने की मेरी हिम्मत भी नहीं थी... इसलिए वहाँ तक पहुँच कर भी मैं वो ज्योतिर्लिंग नहीं देख पाई...so sad..:(         वहाँ से बाहर निकल कर पापा ने अपने कंधे पर कांवर लिया और हम सबने एकसाथ मंदिर की परिक्रमा की....  


यहाँ खुले में आकर मैंने राहत की सांस ली 

फिर मैंने मंदिर के सामने मम्मी-पापा और भाई के साथ फोटो भी खिचवाई....

मुख्य मंदिर (बैद्यनाथ धाम)

मुख्य मंदिर (बैद्यनाथ धाम)

अब तक बहुत देर हो चुकी थी..... 


मैं थकान और भूख से बेहाल हो चुकी थी 

इसलिए इसके बाद हम सब मंदिर से निकल कर खाना खाने चले गए.... तो ये था मेरी मेमोरी में मेरा पहला ज्योतिर्लिंग दर्शन... जो कि मैं वहाँ तक जाकर भी नहीं देख सकी... लेकिन कोई बात नहीं, मैंने भगवान जी को नहीं देखा, पर भगवान जी ने तो मुझे ज़रूर देख लिया होगा.... है ना!!!!!!
   





11 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा रूनझुन !

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  2. गुरुवर के आदेश से , मंच रहा मैं साज ।
    निपटाने दिल्ली गये, एक जरुरी काज ।

    एक जरुरी काज, बधाई अग्रिम सादर ।
    मिले सफलता आज, सुनाएँ जल्दी आकर ।

    रविकर रहा पुकार, कृपा कर बंदापरवर ।
    अर्जी तेरे द्वार, सफल हों मेरे गुरुवर ।।

    शनिवार चर्चा मंच 842
    आपकी उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत की गई है |

    charcamanch.blogspot.com

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  3. हर हर महादेव बहुत अच्छा लगा !

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  4. वाह रूनझुन !
    .....बढ़िया प्रस्तुति
    हर हर महादेव

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  5. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
    अति प्रिय लगी आपकी प्रस्तुति

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  6. अरे वाह! वहां तो बहुत मजा आया होगा>>

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  7. बहुत रोचक -भगवान् जी ने तो मुझे देख लिया होगा .हाँ रुनझुन ,रह अपनी धुन ,हर पल कुछ गुण .,चुन ,चुन चुन

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  8. yes toshi , bhagwaan ji ne jaroor tumhe dekha tha, isiliye to wo hamesha tumhaare saath bhi hai.

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  9. yes toshi , bhagwaan ji ne jaroor tumhe dekha tha, isiliye to wo hamesha tumhaare saath bhi hai.

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  10. यहाँ तो हम भी गये थे चार साल पहले. सत्संग में हमारे गुरु जी राधा स्वामी अनुकूल जी महाराज की आश्रम है..वहाँ भी गये थे.

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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