रुनझुन की बातों में कुछ ज्यादा ही लम्बा गैप आ गया था शायद लेकिन कोई बात नहीं जब बातें यादों के गलियारे से हो रही हों तो फिर थोड़ी सी देर ज़्यादा मायने नहीं रखती, हमारा तो बस यही प्रयास है कि बिटिया की भूत और वर्तमान की कड़ियाँ जल्द ही आपस में मिल जाय और फिर बिटिया खुद ही अपनी बातें आप से कहने लगे...तो आइये रुनझुन की बातों को आगे बढ़ाते हैं और करतें हैं बिटिया के पहले नव वर्ष की बातें.........
"1 जनवरी 2002 " रुनझुन का पहला न्यू ईयर... उस दिन रुनझुन सुबह-सुबह तैयार होकर सबसे पहले मम्मी-पापा के साथ मंदिर दर्शन करने गयी...
"1 जनवरी 2002 " रुनझुन का पहला न्यू ईयर... उस दिन रुनझुन सुबह-सुबह तैयार होकर सबसे पहले मम्मी-पापा के साथ मंदिर दर्शन करने गयी...
और जब वहाँ से लौटी तो प्रतिमा मौसी का सरप्राइज़ गिफ्ट मिला मौसी ने बिटिया को एक बहुत ही प्यारा सा और खूब बड़ा सा कार्ड दिया था... लीजिये आप भी देखिये...
है न बहुत ही सुन्दर और मेमोरेबल कार्ड!! कार्ड बहुत बड़ा था न इसलिए उसे थोड़ा-थोड़ा करके दिखाना पड़ा...
बिटिया ने मौसी को ढेर सारा थैंक्यू कहा...
थैंक्यू मौसी !! |
उस दिन बिटिया बहुत खुश थी...
उस दिन रुनझुन विनोद नाना के घर भी घूमने गई थी... वहाँ सबसे मिलकर वो बहुत खुश हुई...
नानी ने मुझे खूब प्यार किया |
अरे! मधुकर मामा आप कितने लम्बे हैं! आपकी गोद में मैं कितना ऊपर आ गई ! |
अरे! आप इनसे नहीं मिले न! ये भी रुनझुन के मामा हैं... अनिकेत मामा... रुनझुन से मात्र 21 दिन बड़े... यानि मामा भी और हमउम्र दोस्त भी... है न मजेदार बात!!!
रुनझुन के बारे में अभी हम और भी बहुत सी बातें करेंगे... लेकिन फ़िलहाल इतना ही...
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अले...तोची दीदी, आप इत्ती शोती कब थीं ? अमने तो देखा ही नई...देखते तो आपतो खूब पाल कलते औल कैते...“ शोता बाबू अत्ता ”!
ReplyDeleteu r shooo shweeeet...... :-)
कितना कुछ जो भूल-बिसर गया था याद आ गया इन तस्वीरों में रुनझुन बेटी को देख कर. सच हमारे नन्हे फ़रिश्ते कितनी जल्दी बड़े हो जाते हैं...और उन्हें देख लगता है कि काश हम समय को पकड़ पाते.
ReplyDeletetotally agreed with pratima di..
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