रुनझुन के जन्म की तीसरी वर्षगाँठ... जी हाँ 7 नवंबर 2004 को रुनझुन ने अपनी उम्र के तीन वर्ष पूरे कर लिए और अपनी इस खुशी को रुनझुन ने पास की गरीब बस्ती के बच्चों को खाना खिलाकर बिलकुल ही निराले अंदाज़ में मनाया... और हाँ इस दिन स्वाति बुआ ने रुनझुन को अपने हाथों से बनी एक बहुत ही सुन्दर सी टोकरी भी उपहार में दी थी... आइये आपको भी दिखातें हैं वो प्यारी सी टोकरी....
टॉफी से भरी ये टोकरी स्वाति बुआ ने दी |
कित्तीssssss प्यारी है न!!!!! |
कहते हैं न कि पूत के पाँव पालने में ही नज़र आ जाते हैं... भई ये कहावत तो हमें भी चरितार्थ होती नज़र आई जब हमने मात्र तीन वर्ष की रुनझुन को रंगोली के रंगों में रूचि लेते हुए देखा... जी हाँ, मौका था दीपावली का... मम्मी ने सोचा दोपहर में अभी रुनझुन सो रही है, उसके उठने से पहले जल्दी से एक छोटी सी रंगोली बना लूँ... लेकिन ये क्या अभी तो मात्र आधी ही रंगोली बन पाई थी कि रुनझुन उठकर मम्मी के पास आ गयी.... " मम्मी तुम क्या कर रही हो.... ये कैसे बना रही हो... इसे क्या कहते हैं...." जैसे प्रश्नों कि झड़ी लग गयी... मम्मी ने सोचा अब तो बन चुकी रंगोली... लेकिन नहीं बिटिया रानी ने अपने सारे प्रश्नों का उत्तर पाने के बाद मम्मी को रिमार्क दिया... "सुन्दर है!"... और चुपचाप बैठकर देखने लगी फिर थोड़ी देर बाद रंगों को सजाने में मम्मी की मदद भी की....रंगोली पूरी बन गयी तो मम्मी ने कहा... 'रुनझुन ने रंगोली बना ली'... और फिर क्या था बेटी एकदम खुश!!!.... शाम को रुनझुन ने अपनी दोस्त सिम्पी दीदी को भी रंगोली दिखाई... फिर दोनों ने साथ मिलकर रंगोली पर दीये जलाये और दीवाली मनाई.....
जन्मदिन और दीवाली के बाद नया वर्ष आ गया... अब तो रुनझुन बड़ी और समझदार हो गयी थी... अब उसे "हैप्पी न्यू इयर" का मतलब भी पता चल गया था... तो इस बार बेटी ने मम्मी से तीन केक बनाने की फरमाइश की... मम्मी हैरान! तीन केक किसलिए...?... खैर, अब बेटी की फरमाइश थी, पूरी तो करनी ही थी... मम्मी ने तीन केक बना दिया... इस तीन केक का राज़ बाद में पता चला... नहीं समझे न!.... अभी पता चल जायेगा....
और बस यूँ ही हर बढ़ते पल के साथ रुनझुन का बचपन भी नयी-नयी जिज्ञासाओं और कोतूहल के बीच बढ़ने लगा... हम भी बेटी के इस विकास क्रम को उतने ही कौतूहल के साथ निरख-निरख आनंदित होते रहते....
इसमें रुनझुन की नन्ही कोमल उँगलियों ने भी रंग भरे हैं |
सिम्पी दीदी के साथ रुनझुन |
Dwali celebration with full precaution!!! |
जन्मदिन और दीवाली के बाद नया वर्ष आ गया... अब तो रुनझुन बड़ी और समझदार हो गयी थी... अब उसे "हैप्पी न्यू इयर" का मतलब भी पता चल गया था... तो इस बार बेटी ने मम्मी से तीन केक बनाने की फरमाइश की... मम्मी हैरान! तीन केक किसलिए...?... खैर, अब बेटी की फरमाइश थी, पूरी तो करनी ही थी... मम्मी ने तीन केक बना दिया... इस तीन केक का राज़ बाद में पता चला... नहीं समझे न!.... अभी पता चल जायेगा....
31st दिसंबर 2004 की रात एक केक पापा के साथ काटा गया... |
दूसरा मम्मी के साथ और..... |
तीसरा 1st जनवरी 2005 को दिन में सिम्पी दीदी के साथ |
फिर दोनों ने एक दूसरे को केक खिलाकर नए वर्ष की बधाई भी दी |
और बस यूँ ही हर बढ़ते पल के साथ रुनझुन का बचपन भी नयी-नयी जिज्ञासाओं और कोतूहल के बीच बढ़ने लगा... हम भी बेटी के इस विकास क्रम को उतने ही कौतूहल के साथ निरख-निरख आनंदित होते रहते....
बहुत कुछ जाना रुनझुन तुम्हारा.....बहुत बढ़िया लगा सच.....!!
ReplyDeletehello runjhun di iam rudransh aapka blog dekha to accha laga. aapki pictures bhi bahut acchi hai.
ReplyDeleteरुनझुन को हमारा आशीर्वाद|
ReplyDeleteबचपन की बातें सबको प्रभावित कर जाती हैं । रूनझुन को ढेर सारी बधाईयां । पोस्ट अच्छा लगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...क्या कहती है तबाही?
रूनझुन को ढेर सारी बधाईयां
ReplyDeleteआपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं. .
जय माता दी..
बहुत बढ़िया.....
ReplyDeleteऐसा ही प्यारा होता है बचपन और उसकी यादें रुनझुन के व्यक्तित्व में दिन दुनी बढ़ोत्तरी हो देश समाज को ये चिराग रोशन करे बहुत बहुत शुभ कामनाएं हम बच्चे क्यों नहीं बन जाते ?
ReplyDeleteभ्रमर ५
Nice
ReplyDeleteबिटिया का एक और जन्मदिन आने वाला है, शुभकामनायें!
ReplyDeleteHappy Deewali My dear!
ReplyDeleteLove-