Monday, November 19, 2012

यम-द्वितीया



दीवाली के एक दिन बाद भाई-दूज होता है जिसे कोलकाता में भाई-फोटा और यहाँ गुजरात में भाई-बीज कहते हैं... ये त्यौहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है... इस त्यौहार को यम-द्वितीया भी कहते हैं... और इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है जो मृत्यु के देवता यमराज से जुडी हुई है....

कहते हैं भगवान् यमराज इस दिन अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने बड़े प्रेम और आदर के साथ भाई का सत्कार किया... उनके माथे पर तिलक लगाकर मंगल-कामना की और फिर अपने हाथों से बनाये विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयाँ उन्हें खिलाई... दोनों ने एक-दूसरे को उपहार भी दिए... यमराज अपनी बहन से मिलकर बहुत ही खुश हुए और वहां से वापस लौटते समय उन्होंने कहा कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक कर उसके लिए मंगल कामना करेगी उन भाई-बहन को कभी भी यमराज के क्रोध का भागी नहीं बनना पड़ेगा...

दोस्तों आपको नहीं लगता कि हमारे सभी पर्व-त्यौहार के पीछे कोई न कोई गहरा सन्देश छुपा होता है... सभी त्योहार हमें प्रेम-सौहार्द और रिश्तों की मिठास से भर देते हैं...

भाई-बहन के प्यार के प्रतीक इस त्योहार को हम दोनों भाई-बहन ने भी बड़े ही प्यार और उत्साह के साथ मनाया... किसी वजह से मैं इस बार की फोटो आप सबको नहीं दिखा पा रही हूँ लेकिन कोई बात नहीं चलिए आप को एक साल पहले यानि पिछले भाई-दूज की फोटो दिखाती हूँ.......

भाई तो अभी छोटा है न, इसलिए ज्यादा कुछ तो समझता नहीं... लेकिन हाँ जब उसे टीका लगाती हूँ... आरती करती हूँ तब वो बहुत स्पेशल फील करता है और खूब हँसता है... 





भाई के माथे पे मंगल-तिलक और फिर मंगल-आरती











देखिये भाई कितना मगन है 





अरेsssssss..... नहींssssss.... मेरी उंगली.... बचाओ.....  







4 comments:

  1. अच्छी प्रस्तुति |
    बधाई ||

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  2. राकेट के अविष्कारक - शेर - ए - मैसूर टीपू सुल्तान - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. भाई बहन का प्यार अमर रहे ......सुंदर प्रस्तुति ....

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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