लगभग ढाई महीने से रुनझुन के ब्लॉग पर ख़ामोशी थी.... कहीं कोई हलचल नहीं.... किन्तु ब्लॉग पर भले ही कोई हलचल न हो ज़िन्दगी तो हर वक़्त हलचलों से ही भरी रहती है... हर पल कुछ न कुछ नया घटित होता रहता है.... इस बीच भी बहुत कुछ नया घटित होता रहा... जहाँ एक तरफ दशहरा-दीपावली, नव-वर्ष, मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस, सरस्वती पूजा जैसे हर्षोल्लास भरे पर्व इसी बीच गुज़र गए, वहीं रुनझुन का जन्मदिन भी आकर गुज़र गया... लेकिन इन सबके बीच बहुत ही दुखद रहा रुनझुन की दादी का अकस्मात् गुज़र जाना... ब्लॉग पर ख़ामोशी की प्रथमतः वजह यही थी... और फिर जो एकबार तारतम्य टूटा तो फिर जुड़ने में वक़्त लगता ही चला गया...लेकिन धीरे-धीरे हम सबने खुद को संभाल लिया और वक़्त के साथ ज़िन्दगी रफ़्ता-रफ़्ता अपने ढर्रे पर लौट आई... तो अब रुनझुन भी ब्लॉग जगत में लौट आई है आप सबके पास, आप सबसे बातें करने...
बीते 7 नवम्बर 2011 को रुनझुन ने अपनी उम्र के दस वर्ष पूरे कर लिए हैं... अपने इस जन्म दिन पर वो अपनी बातें खुद आपसे करना चाहती थी (अब तक रुनझुन की बातें रुनझुन की माँ के द्वारा आप तक पहुँच रही हैं) पर ऐसा हो न सका... संभवतः अगली पोस्ट से रुनझुन अपनी बातें खुद ही आपको बताएगी... लेकिन फिलहाल आज तो रुनझुन की बातों के साथ मैं यानि रुनझुन की माँ हाज़िर हूँ.... और आज मैं आपको रुनझुन के उस साथी या कहिये उस दोस्त से मिलवाने जा रही हूँ जो रुनझुन का सबसे प्यारा साथी है...और वो है रुनझुन का प्यारा-दुलारा छोटा भाई "शाश्वत"....
3-4 मार्च 2005 की अर्धरात्रि में 12 बजकर तेरह मिनट पर भगवान जी ने रुनझुन को एक बहुत ही प्यारा सा तोहफा दिया और उन्होंने रुनझुन की दुनिया में उसके सबसे प्यारे दोस्त, उसके नन्हे से भाई को उसके पास भेज दिया...
नन्हा शाश्वत |
उस समय तो रुनझुन घर में नानी के पास सो रही थी... सुबह जैसे ही उसे ये खुशखबरी मिली वो फटाफट तैयार होकर हास्पिटल चल पड़ी अपने नन्हे भाई से मिलने.....
वहाँ पहुँच मम्मी की बगल में सोये नन्हे-मुन्ने प्यारे से भाई को देखकर तो रुनझुन की ख़ुशी का कोई ठिकाना न था... ख़ुशी से लबरेज रुनझुन के कौतूहल भरे प्रश्नों की तो मानो झड़ी ही लग गई....मम्मी भाई कब जागेगा?...कब वो मेरे साथ खेलेगा?... वो कब बोलना शुरू करेगा?...आदि-आदि...न जाने कितने-कितने प्रश्न...
हास्पिटल में मम्मी, भाई और कोमल मौसी के साथ |
और उसके बाद तो रुनझुन का ज़्यादातर समय नन्हे भाई के संग ही बीतता... बड़े ही प्यार के साथ कभी वो उससे प्यारी-प्यारी बातें करती... तो कभी उसकी नन्ही-नन्ही कोमल उँगलियों और नाज़ुक नर्म गालों को बड़े कौतूहल और प्यार से सहलाती...तो कभी उसके सामने झुक कर अपने बालों को उसके हाथों से स्पर्श कराके कहती... भाई मेरे बालों को पकड़ो... नन्हा भाई बहना के इस प्यारे से खेल को समझने की कोशिश में उसे टुकुर-टुकुर देखता और वो खिलखिला उठती......
रुनझुन को भाई से जुड़े हर काम में बड़ा ही मज़ा आता... देखिये कितने प्यार से मौसी के साथ मिलकर रुनझुन ने भाई का पालना सजाया है.... आखिरकार अब रुनझुन बड़ी जो हो गई है.....
पालना सुन्दर लग रहा है न! |
नानी और भाई के साथ ख़ुशी से इठलाती रुनझुन |
भाई को गंगे-गंगे कराती रुनझुन |
भाई और अनिकेत के साथ वाटर-पूल में मस्ती |
नाना की गोद में भाई और रुनझुन की गोद में रुनझुन की गुड़िया है न मज़ेदार !!!!! |
तो अगली बार रुनझुन खुद ब्लॉग पर लिखेगी हम सब से अपनी बातें अपनी तरह से करेगी यह जान कर बहुत खुशी हुई।
ReplyDeleteरुनझुन आपने प्यारे भाई के बारे मे भी बताती रहना।
God Bless You!
रुनझुन को ढ़ेर सारी बधाई:)
ReplyDeleteरुनझुन के छोटे से भाई को बहुत२ सस्नेह प्यार, प्रस्तुति अच्छी लगी.,
ReplyDeletewelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
आप सब को बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं साथ साथ सभी नन्हे मुन्नों को ढेर सारा स्नेहाशीष !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - थिस इज़ बेटर देन ओरिजिनल जी... - ब्लॉग बुलेटिन
नन्ही रुनझुन को मुन्नी रुनझुन मुबारक हो!
ReplyDeleteरुनझुन की वापसी का स्वागत है। छोटे भैय्या की बड़ी दीदी बनना सचमुच बड़ा काम है। दादी को श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteशानदार |
ReplyDeletelots of Love to my kids............
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