आइये आज मैं आप सबकी मुलाक़ात एक हरे जनाब से करवाती हूँ.... अरे!अरे! चौंकिये मत! मेरा मतलब किसी हरे रंग के आदमी से नहीं बल्कि हरे-हरे पक्षी मिठ्ठू तोते से है... क्या सोच रहे हैं आप...? यही न कि अचानक ये हरे जनाब कहाँ से आ गए !!!.... Let me tell you from the starting....
हमारे बनारस पहुँचने के तीन दिन पहले एक हरा तोता हमारी छत पर जाने कहाँ से उड़ते-उड़ते आ गया... नानी ने छत पर उसे देखा तो सोचा कि अन्य पक्षियों की तरह वो भी कहीं से उड़कर आ गया होगा अपने आप चला जायेगा और वो छत से नीचे आ गईं... अगले ही पल उन्होंने देखा कि वो तोता भी उनके साथ नीचे आ गया है... फिर क्या ?... मिठ्ठू मियाँ ने तो हमारे घर को अपना ही अड्डा समझ लिया... दिन भर अलग-अलग तरीकों से सबका मनोरंजन करने लगे... कभी मिठ्ठू-मिठ्ठू की सुरीली पुकार लगाते तो कभी जोरदार सीटी बजाते... यही नहीं जब सब डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठे तो मिठ्ठू मियाँ भी आकर टेबल पर विराजमान हो गए और सबके साथ उन्होंने भी वहीं बैठकर खाना खाया... रात को भी वे घर में ही सोये और जब अगली सुबह नानी पूजा करने बैठीं तो ये "हरे जनाब" अचानक उनके सिर पर आकर बैठ गए... ऐसे ही दिन भर तरह-तरह की अजीबोगरीब आवाज़ें निकालते रहते और पूरे घर में इधर से उधर डोलते रहते....
हमारे बनारस पहुँचने के तीन दिन पहले एक हरा तोता हमारी छत पर जाने कहाँ से उड़ते-उड़ते आ गया... नानी ने छत पर उसे देखा तो सोचा कि अन्य पक्षियों की तरह वो भी कहीं से उड़कर आ गया होगा अपने आप चला जायेगा और वो छत से नीचे आ गईं... अगले ही पल उन्होंने देखा कि वो तोता भी उनके साथ नीचे आ गया है... फिर क्या ?... मिठ्ठू मियाँ ने तो हमारे घर को अपना ही अड्डा समझ लिया... दिन भर अलग-अलग तरीकों से सबका मनोरंजन करने लगे... कभी मिठ्ठू-मिठ्ठू की सुरीली पुकार लगाते तो कभी जोरदार सीटी बजाते... यही नहीं जब सब डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठे तो मिठ्ठू मियाँ भी आकर टेबल पर विराजमान हो गए और सबके साथ उन्होंने भी वहीं बैठकर खाना खाया... रात को भी वे घर में ही सोये और जब अगली सुबह नानी पूजा करने बैठीं तो ये "हरे जनाब" अचानक उनके सिर पर आकर बैठ गए... ऐसे ही दिन भर तरह-तरह की अजीबोगरीब आवाज़ें निकालते रहते और पूरे घर में इधर से उधर डोलते रहते....
यूँ ही देखते-देखते तीन दिन बीत गए... मिठ्ठू मियाँ तो हमारे घर में ही जम गए... जाने का नाम ही नहीं ले रहे थे.... लेकिन अब हरे जनाब घर में जहाँ-तहाँ गन्दगी फैलाने लगे... वो नानी की रसोई में भी पहुँचने लग गए कोई भी चीज़ जूठी करके फेक देते... अब तक जनाब घर को कुछ-कुछ पहचानने लग गए थे इसलिए वे थोड़ा-थोड़ा उड़ कर आँगन से रसोई और फिर दूसरे कमरों में भी जाने लगे... इससे एक परेशानी उत्पन्न हो गई... इतनी गरमी में तो हर कमरे में पंखा चलता है.... इसलिए एक तो उन्हें चोट लग जाने का डर था और दूसरी तरफ़ ये जनाब बिजली के तारों को अपनी चोंच से पकड़-पकड़ कर उतरने-चढ़ने लगे जिससे उन्हें करेंट लग जाने का भी खतरा था तो फिर नानी ने सोचा कि अब जब प्यारे मिठ्ठू जी हमारे घर को छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं तो फिर क्यों न उन्हें पूरी तरह से हमारे ही परिवार का सदस्य बना लें ?.... परिणाम स्वरूप घर के अन्य सदस्यों की तरह उन्हें भी एक कमरा दे दिया गया.... मिठ्ठू राम को किस प्रकार का कमरा मिला होगा उसका अंदाज़ा तो आपको हो ही गया होगा... जी हाँ !!!... ये है मिठ्ठू मियाँ का "Mini Cage"
इनके रूम के अंदर इनके अंदाज़ तो देखिये... बिल्कुल स्टार जैसे... लगता है कि इन्हें पिंजड़े में नहीं बल्कि स्टेज पर खड़ा कर दिया गया है...
ये देखिये..... मिठ्ठू मियाँ अपने कमरे का निरीक्षण कर रहे हैं |
इनके रूम के अंदर इनके अंदाज़ तो देखिये... बिल्कुल स्टार जैसे... लगता है कि इन्हें पिंजड़े में नहीं बल्कि स्टेज पर खड़ा कर दिया गया है...
ह्म्म्म कमरा तो अच्छा है... मैं खुश हुआ..!!! |
बर्तनों को देख अब मुझे भूख लग गयी है.. खाना खा के आपसे मिलूँगा... |
वैसे आप सबको पता है? इन मिठ्ठू मियाँ को देखकर मैंने एक कविता भी लिखी... आइये आप सबको दिखाऊं:
जीव है ये हरा-हरा
बतलाओ तो तुम ज़रा
कौन हैं ये हरे जनाब?
दिनभर रटते मिठ्ठू-राम |
लाल रंग की चोंच है इनकी
छोटे-छोटे पाँव हैं |
मानव जैसी वाणी इनकी
हरी मिर्च से प्यार है |
नक़ल करने में नंबर-वन
कलाबाजी है हॉबी इनकी |
रोज नहाते,खूब हैं खाते
हम सबके ये मिठ्ठू राम ||
कैसी लगी मेरी कविता ?..... मुझे ज़रूर बताइयेगा....
ओ.के फ़्रेंड्स! अब मैं चलती हूँ... जल्दी ही फिर मिलूँगी...तब तक के लिए बाय-बाय...
आपके हरे जनाब तो सच मे हीरो है
ReplyDeleteआपकी कवीता जनाब की तरह प्यारी है !
आपकी पोस्ट कल 21/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 917 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
Sunder Kavita Aur Bahut Pyare Hare Janab.....
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