वन्दे मातरम! |
रुनझुन और मुज़फ्फ़रपुर का साथ बस इतने ही दिनों का था... २००५ का स्वाधीनता दिवस और उसके बाद रक्षाबंधन (१९अगस्त २००५) रुनझुन के आख़िरी त्योहार थे मुज़फ्फ़रपुर में.... लेकिन साथ ही ये रुनझुन का भाई के साथ पहला रक्षाबंधन भी था और इसे रुनझुन ने बड़े ही प्यार से सेलिब्रेट किया...
हाँ! नटखट भाई को टीका करना, राखी बाँधना और उसे मिठाई खिलाना बिलकुल भी आसान नहीं था क्योंकि वो शैतान तो कुछ समझता ही नहीं था.... बस कैमरे को देख उसे पकड़ने के लिए भागने लगता... लेकिन रुनझुन ने भी हार नहीं मानी और काफी मशक्कत के बाद भाई को राखी बाँध ही दी.....
एक नज़र...
सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक कर आरती उतारी |
और फिर उसकी नन्ही कलाई में राखी बांधी |
लेकिन बस!... इसके बाद भाई भागने को तैयार ! |
रुनझुन ने उसे जबरदस्ती गोद में उठा लिया |
पर आख़िर कितनी देर..!!!..... |
और देखिये! वो दौड़ पड़ा कैमरे की ओर... |
इन सब प्यारी-प्यारी, नटखट, चुलबुली यादों का पिटारा सहेज... मुज़फ्फ़रपुर को अलविदा कह रुनझुन चल पड़ी नए शहर में... नयी यादें संजोने.....