Friday, April 22, 2011

कहानी एक परी की.....


 ....आखिरकार इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हुईं !!
      ....आ पहुँचा वो दिन जब ईश्वर सृष्टि के सबसे खूबसूरत तोहफे से नवाज़ कर हमारे सपने साकार करने को तैयार बैठा था ......
     .....बनारस में 6 नवम्बर 2001 की  वो अद्भुत रात... समय अर्ध-रात्रि से पहले का... अचानक ज़ोर-ज़ोर से हवाएँ चलने लगी... बादलों की चमक, बिजली की गरज के साथ ही समीप स्थित मन्दिर की घंटियाँ बज उठीं... टन...टन...टन... किसी पवित्र आत्मा के आगमन की पूर्व सूचना सी देती हुई.... अगले ही पल एक मासूम सपने को पलकों में बसाए, हँसती-मुस्कुराती मैं पहुँच गई ऑपरेशन-थिएटर में... डॉक्टर ने स्पाईनल   एनिस्थीसिया दिया और आँखों पर पट्टी बांध दी... मैंने बहुत मना किया, (मैं हमारे सपने के साकार होने की उस पूरी प्रक्रिया को खुली आँखों से देखना चाहती थी)... पर वे नहीं माने... लेकिन.... मेरे मन की आँखों पर वे कोई पट्टी न बांध सके... मैं उस पूरी प्रक्रिया को कानों से सुनकर मन की आँखों से देखने-समझने की कोशिश में जुट गई...
          ....और अगले ही पल मेरे चारों और एक नया लोक उभर आया... देवदूतों ( Angle ) का लोक... मैं लेटी थी... सब कुछ देख-सुन सकती थी पर कोई भी हरकत नहीं कर सकती थी... मेरे चारो तरफ़ कुछ देवदूत खड़े थे... एक-दूसरे से धीमे-धीमे बातें करते हुए... कोई एक देवदूत कुछ घबरा उठा... दूसरे ने उसे दिलासा दी... एक ने कुछ माँगा... शायद दूसरे ने उसे दिया... सब-कुछ बहुत धीमी-धीमी आवाज़ में लेकिन तेज़ गति से होता हुआ... और मैं मन ही मन पुलकित होती हुई उनकी बातों का अर्थ समझने की कोशिश करती हुई...
         और तभी!...... एक बिल्कुल नई... बहुत ही कोमल... बहुत ही मीठी... बहुत ही नाज़ुक... लेकिन चिर-प्रतीक्षित आवाज़ सुनाई दी... और मैं... निःस्पंद... निःशब्द... बंद आँखों से उसे अपलक निहारती ख़ुशी से झूम उठी... हमारी प्रतीक्षा पूरी हुई... हमारा सपना पूरा हुआ... हमारी कल्पना साकार हो गई!!!


.....तभी एक देवदूत की आवाज़ कानों से टकराई..."कल्पना! सुना तुमने! तुम्हारे बेबी की आवाज़ है... बहुत ही सुंदर क्राई..."  मेरा मुख खुला, आवाज़ निकली... " डॉक्टर टाइम क्या हो रहा है ?"...  देवदूत ने प्यार से झिड़का... "तुम इसकी चिंता छोड़ो... वो देखना हमारा काम है... तुम्हे पूछना चाहिए क्या हुआ है..."  ...अब मैं उन्हें क्या बताती...  इतने लम्बे समय से जिस सपने को जीते हुए... उसे महसूसते हुए... अपना एक-एक पल उसके साथ बाँटते हुए... अपने अंतस में उसका प्रतिबिम्ब निहारते हुए मैं जी रही थी, उसके बारे में किसी से कुछ पूछने की मुझे ज़रूरत थी क्या?... मैं तो बस उस वक्त को... उस पल को अपनी यादों में बसा लेना चाहती थी... जिसने हमारे सपने को मूर्त रूप दिया था (बाद में पता चला वो समय था...6 -7 नवम्बर की मध्य-रात्रि  00 .04 मिनट का)... मैं बस मुस्कुरा कर रह गई... अचानक वो आवाज़ सुनाई पड़नी बंद हो गई... शायद उसे वहाँ से कहीं और भेज दिया गया था... कुछ ही देर बाद मैं भी सपनों के हिंडोले पर झूलती... सुगन्धित मधुर बयार के बीच से गुजरती जा पहुंची वहाँ... जहाँ मेरे अपने आँखों में आँसू लिए...टकटकी लगाए मेरे सकुशल लौटने की बाट जोह रहे थे... आँखों की पट्टी खुली... मैंने अपने सामने आंसुओं से भीगी आँखें देखीं... अपनों की... और मैं मुस्कुरा दी... सबके चेहरे खिल उठे... सभी आश्वस्त हो गए... सब ठीक है... लेकिन ये क्या... अगले ही पल हम सबने महसूस किया... कोई ऐसा जिसे उस वक्त वहाँ होना चाहिए था... नहीं था... मेरी आँखों ने माँ की आँखों से प्रश्न किया... उसने बेटी के प्रश्न को समझ लिया और अगले ही पल गर्म शॉल में लिपटी... बेहद नाज़ुक... बेहद प्यारी सी सौगात लिए... मेरे सामने खड़ी वो कह रही थी... "ये लो तुम्हारी मुँह मांगी मुराद... तुम्हारी कल्पना..."  ...और लिटा दिया उसे मेरे पास... दिल के बिलकुल क़रीब...


मैं अपनी उस नाज़ुक साकार कल्पना को देख आत्मविभोर हो उठी...


 दुनिया की हर नेमत से ज़्यादा प्यारी... अतुलनीय... अकथनीय...अकल्पनीय...अमूल्य धरोहर...अपनी सारी मासूमियत...अपनी सारी कोमलता... अपनी सारी पावनता के साथ मेरे एकदम करीब... मेरी बाँहों में लेटी मुस्कुरा रही थी... 


हम दोनों ने एक दूसरे को आँखों ही आँखों में शुक्रिया कहा और बधाइयाँ दी...


 हम कभी उसके मासूम... फूलों से भी ज़्यादा कोमल... ओस की बूँदों से नाज़ुक चेहरे को...


 और कभी उसकी उन बंद मुठ्ठियों को देखते...




जिसमें समेट कर वो लाई थी... हम सबके लिए ढेरों खुशियों भरी सौगातें... 


...इस अनमोल नेमत से हमें बख्शने के लिए ख़ुदा का लाख-लाख शुक्रिया!!!

5 comments:

  1. wo pari ham sabki liye muskurahatein samet kar laaee thi.

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  2. कित्ती प्यारी है ये परी...बधाई.
    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!

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  3. यह तो क्यूट गुड़िया लग रही है..... सचमुच बहुत सुंदर है परी........

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  4. Thought I would comment and say neat theme, did you make it for yourself? It's really awesome!

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आपको मेरी बातें कैसी लगीं...?


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