7 नवम्बर भोर की पहली किरन के साथ ही ये नन्ही किलकारी हर दिशा में गूँज उठी...
दादा-दादी, नाना-नानी, मौसी, मामा, ताऊ-ताई, और सारे भाई-बहन ख़ुशी से झूम उठे...दादी ने आशीषों की झड़ी लगा दी...
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नानी ने बलैयां ली... |
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पापा तो बस अपनी लाडो को निहारते न थकते... |
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छोटू मामा |
मौसी, मामा सबने नन्ही परी के आगमन की ढेर सारी बधाईयाँ दी...
14 नवंबर 2001 ठीक लक्ष्मी-पूजा (दीपावली) के दिन हमारी लक्ष्मी हॉस्पीटल से घर आ गई... घर खुशियों से भर गया... दीप जल उठे... रंग-बिरंगी रोशनी के बीच लक्ष्मी-गणेश के पूजन के साथ ही बिटिया को काजल लगाने की रस्म भी पूरी हुई ...
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गुड़िया मौसी और कोमल मौसी ने बड़े ही प्यार से लाडो की गोल-गोल बड़ी-बड़ी आँखों में काजल लगाया... |
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गुड़िया मौसी |
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कोमल मौसी |
प्रतिमा मौसी ने नन्ही सी बिटिया को उसके जीवन की पहली दीपावली की शुभकामना देते हुए उसे नन्हा सा ग्रीटिंग कार्ड भी दिया
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प्रतिमा मौसी |
और इस तरह हमारी लाडो का
पहला ज्योति-पर्व उसके अपनों के असीम स्नेह - शुभकामनाओं एवं आशीष से जगमगा उठा...
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और उसकी प्यारी मुस्कान के दीपों से खिल उठी हम सबकी भी दीपावली.....! |