बनारस भ्रमण के अगले दिन हम सारनाथ गए जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था इसीलिए यह स्थान बौद्धों का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है..... वहाँ सबसे पहले हम म्यूज़ियम में गए जहाँ सारनाथ की खुदाई में मिली बौद्धकालीन प्राचीन मूर्तियों के अलावा मुझे वो चीज़ भी देखने को मिली जहाँ से हमारा "राष्ट्रीय चिह्न" लिया गया है यानि अशोक स्तंभ का शेर के मुख वाला ऊपरी भाग (वहाँ कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं थी इसलिए हम फ़ोटो नहीं ले सके.. :-(
म्यूजियम से निकल कर हम पुरातात्विक अवशेषों को देखने पहुँचे....
वहाँ हमने प्राचीन सभ्यता के भवनों के अवशेष, अशोक स्तंभ और घमेख स्तूप देखा....
खण्डहर देखने के पश्चात हम भगवान बुद्ध का मुख्य मंदिर देखने पहुँचे जहाँ भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा है....
लेकिन अफ़सोस उस दिन कुछ विशेष कारणों से मंदिर का पट बंद था अतः मैं भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा का दर्शन नहीं कर पाई... मैं दुखी हो गई लेकिन कुछ कर तो सकती नहीं थी इसलिए अगली बार दर्शन करने का मन में निश्चय करके मैं मंदिर के दाहिने तरफ बढ़ी... और वहाँ जाकर मन खुश हो गया.... ये वो जगह थी जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपने पाँच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था.....
हालाँकि मैं भगवान बुद्ध की स्वर्णिम मूर्ति और देर हो जाने की वजह से वन विहार भी नहीं देख पाई लेकिन फिर भी मुझे यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा... किसी भी ऐतिहासिक स्थल की ये मेरी पहली यात्रा थी... इससे पहले मैं वैशाली भी गई हूँ लेकिन तब मैं बहुत छोटी थी इसलिए कुछ भी याद नहीं.....
अब जब भी मैं स्कूल में सारनाथ के बारे में पढूंगी तो मेरे लिए कितना रोचक होगा सबको ये बताना कि मैं इस पुरातात्विक महत्त्व के स्थल को देख चुकी हूँ...
पुरातात्विक भग्नावशेष |
वोssss रहा घमेख स्तूप !!! |
कितनाssss बड़ाssss !!! |
शिलापट्ट जिसपर घमेख स्तूप का इतिहास वर्णित है |
उत्खनित क्षेत्र |
खण्डहर देखने के पश्चात हम भगवान बुद्ध का मुख्य मंदिर देखने पहुँचे जहाँ भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा है....
सारनाथ स्थित भगवान बुद्ध का मुख्य मंदिर |
लेकिन अफ़सोस उस दिन कुछ विशेष कारणों से मंदिर का पट बंद था अतः मैं भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा का दर्शन नहीं कर पाई... मैं दुखी हो गई लेकिन कुछ कर तो सकती नहीं थी इसलिए अगली बार दर्शन करने का मन में निश्चय करके मैं मंदिर के दाहिने तरफ बढ़ी... और वहाँ जाकर मन खुश हो गया.... ये वो जगह थी जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपने पाँच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था.....
ये देखिये वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध की मूर्ति.... पाँचों शिष्यों को उपदेश देते हुए... |
यहाँ आकार मेरा मन एकदम प्रसन्न हो गया |
उपदेश स्थल का प्रवेश द्वार |
और प्रवेश द्वार के बगल में है ये बड़ी से घंटी |
हालाँकि मैं भगवान बुद्ध की स्वर्णिम मूर्ति और देर हो जाने की वजह से वन विहार भी नहीं देख पाई लेकिन फिर भी मुझे यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा... किसी भी ऐतिहासिक स्थल की ये मेरी पहली यात्रा थी... इससे पहले मैं वैशाली भी गई हूँ लेकिन तब मैं बहुत छोटी थी इसलिए कुछ भी याद नहीं.....
अब जब भी मैं स्कूल में सारनाथ के बारे में पढूंगी तो मेरे लिए कितना रोचक होगा सबको ये बताना कि मैं इस पुरातात्विक महत्त्व के स्थल को देख चुकी हूँ...
:-) :-) :-) :-) :-)