Wednesday, February 29, 2012

बाय-बाय..... मुज़फ्फरपुर !!!


वन्दे मातरम!


रुनझुन और मुज़फ्फ़रपुर का साथ बस इतने ही दिनों का था... २००५ का स्वाधीनता दिवस और उसके बाद रक्षाबंधन (१९अगस्त २००५) रुनझुन के आख़िरी त्योहार थे मुज़फ्फ़रपुर में.... लेकिन साथ ही ये रुनझुन का भाई के साथ पहला रक्षाबंधन भी था और इसे रुनझुन ने बड़े ही प्यार से सेलिब्रेट किया...
हाँ! नटखट भाई को टीका करना, राखी बाँधना और उसे मिठाई खिलाना बिलकुल भी आसान नहीं था क्योंकि वो शैतान तो कुछ समझता ही नहीं था.... बस कैमरे को देख उसे पकड़ने के लिए भागने लगता...  लेकिन  रुनझुन ने भी हार नहीं मानी और काफी मशक्कत के बाद भाई को राखी बाँध ही दी.....



एक नज़र...

सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक कर आरती उतारी

और फिर उसकी नन्ही कलाई में राखी बांधी

लेकिन बस!... इसके बाद भाई भागने को तैयार ! 

रुनझुन ने उसे जबरदस्ती गोद में उठा लिया 

पर आख़िर कितनी देर..!!!.....

और देखिये! वो दौड़ पड़ा कैमरे की ओर...

इन सब प्यारी-प्यारी, नटखट, चुलबुली यादों का पिटारा सहेज... मुज़फ्फ़रपुर को अलविदा कह रुनझुन चल पड़ी नए शहर में... नयी यादें संजोने.....



Monday, February 27, 2012

भाई ने खाना खाया...





अगस्त २००५... छुकछुक गाड़ी में रुनझुन का एक और सफर... लेकिन इस बार सफर में खेलने के लिए नन्हा भाई भी उसके साथ था... और वो जा रही थी रांची दादा-दादी के पास जहाँ १० अगस्त २००५ को भाई का अन्नप्राशन संस्कार होना था... रुनझुन बहुत ही उत्साहित और कौतूहल से भरी थी... एक नज़र डालते हैं रुनझुन की इस रेलयात्रा पर....   






और अब बात अन्नप्राशन के निमंत्रण-पत्र की... तो इस बार भी निमंत्रण-पत्र हस्त-निर्मित ही था और रुनझुन की ओर से ही था... हाँ... इस बार का सारा निमंत्रण-पत्र कोमल मौसी ने अपने हाथों से बनाया था... और रुनझुन की ओर से लिखा भी उन्होंने ही था... ये रंग-बिरंगा कार्ड रुनझुन को तो बहुत ही पसंद है... ज़रा देखिये आपको कैसा लगता है..... 

















रांची में जगन्नाथ मंदिर में भाई का अन्नप्राशन होना था...रुनझुन बड़े ही उत्साह के साथ वहाँ पहुँची लेकिन नन्ही सी रुनझुन इतनी सारी सीढ़ियाँ देखकर परेशान हो गई.... कैसे चढ़ेगी ???.... आखिरकार दादी की मदद से वो ऊपर पहुँच ही गयी... और... तब... भाई का अन्नप्राशन संस्कार आरम्भ हो गया... कैसे और क्या-क्या हुआ ??... आइये देखते हैं.... 






सबसे पहले मामा ने भाई को मंदिर में भगवन जी का दर्शन कराया.... पंडित जी ने माला पहनाई.... और फिर...


भाई को प्यारी सी छोटी सी धोती पहनाई गई फिर मामा ने चाँदी की कटोरी में चाँदी के चम्मच से भाई को खीर खिलाई... 
( हाँ एक मज़ेदार बात तो बताना भूल ही गई... खाने के मामले में लगता है भाई को कुछ ज्यादा ही हड़बड़ी थी तभी तो भाई का अन्नप्राशन भी पांचवें ही महीने में हो गया और भाई का पहला दांत भी पांचवे महीने में ही निकल आया.)  



फिर सब बहनों ने एक रस्म के मुताबिक बारी-बारी से भाई को प्यार और आशीर्वाद दिया... 



उसके बाद एक बार फिर भाई का गेटअप चेंज किया गया और अब वो नन्हा कान्हा बन चुका था....(टकलू कान्हा...हा-हा-हा) 


अन्नप्राशन के अगले दिन सुबह दादी ने भाई को रसगुल्ला खिलाया... रुनझुन खुश... भाई को तो ठीक से खाना आता नहीं था लेकिन रुनझुन ने मज़े ले-लेकर रसगुल्ले खाए....







रसगुल्ले की पूरी प्लेट रुनझुन के हवाले 

और फिर एक दिन बाद भाई को अनाज यानि दाल-चावल, सब्जियां भी खिलाई गयी... लेकिन रुनझुन ये सोच कर हैरान थी कि सब लोग भाई को खाना खिलाने की इतनी कोशिश क्यों कर रहे हैं...!!!... अभी तो उसके दांत ही नहीं है जब उसके भी रुनझुन जैसे ढेर सारे दांत आ जायेंगे तो वो खुद ही खाने लगेगा...


...लेकिन अब ये छोटी सी बात वो इन बड़े लोगों को कैसे समझाए... 


है कोई तरकीब किसी के पास......?????????? 



Wednesday, February 8, 2012

बातों का सिलसिला जारी है...


इस बार रुनझुन खुद आपके साथ बातें करने वाली थी लेकिन अगले महीने यानि मार्च में रुनझुन की वार्षिक परीक्षाएँ हैं और आज-कल रुनझुन रिवीज़न टेस्ट में व्यस्त है इसलिए रुनझुन की बातों का सिलसिला फिलहाल मैं ही जारी रखती हूँ... रुनझुन के फ्री होने तक.... 




नन्हे-मुन्ने भाई के आ जाने से रुनझुन सचमुच बड़ी और बहुत ही समझदार दीदी बन गयी थी... भाई के साथ रुनझुन बहुत ही प्यार से रहती और खूब खेलती....


नन्हा भाई दीदी की गोद में 

मस्ती ही मस्ती !

छोटे से भाई की नन्ही सी दीदी 

जल्दी ही रुनझुन बनारस से मुज़फ्फरपुर वापस आ गयी और अब भाई के साथ मस्ती करने के साथ ही साथ रुनझुन की पढ़ाई और स्कूल का सिलसिला फिर से शुरू हो गया.... 


स्कूल के लिए तैयार...

लेकिन भाई को छोड़कर जाने का मन नहीं... 

और अब ये देखिये.....

अरे हंसिये नहीं स्कूल ही जा रहीं हूँ पर..
अब बारिश का मौसम आ गया है...


और भी ढेर सारी बातें... अगली बार.....




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